लिपि किसे कहते हैं | Lipi Kise Kahate Hain
किसी भी भाषा को बोलते समय ध्वनियों का काफी महत्त्व रहता है। इन ध्वनियों को लिखने के लिए भाषा में जिन चिन्हों (signs) को प्रयोग किया जाता है यही चिन्ह उस भाषा की लिपि कहलाती है।
दुनिया भर में 3 प्रकार की ही मूल लिपियाँ हैं -चित्र लिपि जिसे कोरिया ,चीन ,जापान में प्रयोग किया जाता है।
ब्राह्मी लिपि से देवनागरी और दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में प्रयोग लायी जाने वाली लिपियों का जन्म हुआ है। फोनेशियन से व्युत्पन लिपियाँ यूरोप ,मध्य एशिया ,अफ्रीका में प्रयोग में लायी जाने वाली लिपियाँ।
‘लिपि ‘ या लेखन प्रणाली का अर्थ होता है, किसी भी भाषा की लिखावट या लिखने का ढंग. ध्वनियों को लिखने के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, वही लिपि कहलाती है ।
जैसे कि हिंदी भाषा को लिखने में देवनागरी लिपि का प्रयोग होता है. और अंग्रेजी को लिखने में रोमन लिपि का प्रयोग होता है।
उदाहरण
गुरुमुखी लिपि, रोमन लिपि, पंजाबी लिपि, देवनागरी लिपि, गुजराती लिपि, उड़िया लिपि, टाकरी लिपि, कैथी लिपि इत्यादि।
लिपि की परिभाषा | Lipi Ki Paribhasha
लिपि की परिभाषा (Lipi ki Paribhasha): किसी भाषा के लिखने के ढंग या भाषा की लिखावट को लिपि कहा जाता है।
किसी ध्वनि या आवाज़ को लिखना हो, पढ़ना हो या उसे देखने योग्य बनाना, उसे लिपि कहते हैं।
लिपि कितने प्रकार के होते हैं | Lipi Ke Prakar
दुनिया भर में जितनी भी लिपियाँ हैं, उन्हें 4 भागों में बाँटा गया है, जो कि निम्नलिखित हैं:-
- चित्र लिपि
- अल्फाबेटिक लिपि
- अल्फासिलेबिक लिपि
- ब्रेल लिपि
1. चित्र लिपि किसे कहते हैं ? | Chitra Lipi Kise Kahate Hain
चित्र लिपि – वह लिपि होती है, जिसमें भाषा को चित्रों के माध्यम से दर्शाया जाता है। इसमें उतने शब्द और मात्राएं नहीं होती।
चीनी और कोरियाई भाषा की लिपियों को चित्र लिपि के प्रकार में रखा गया है। इस लिपि को सीखना बाकि लिपियों की तुलना में काफी आसान होता है।
चित्र लिपि के जरिये लोग अपने भावों और अपने विचारों को चित्र के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं, चित्र लिपि के तीन प्रकार हैं।
- चीनी लिपि: चीनी
- प्राचीन मिस्त्री लिपी: प्राचीन मिस्त्री
- कांजी लिपि: जापानी
2. अल्फाबेटिक लिपि किसे कहते हैं ?
हम जो अंग्रेजी ( English ) पढ़ते हैं, उसमें 26 लेटर्स होते हैं। इसमें स्वर की मात्रा के लिए अलग से चिन्ह नहीं होता है। इन्हीं 26 लेटर्स के इस्तेमाल से शब्दों का निर्माण होता है।
इसमें व्यंजन के बाद स्वर को उसके पुरे स्वरूप में लिखा जाता है।
अंग्रेजी, यूनानी, फ़्रेंच, जर्मन, अरबी, रुसी भाषा अल्फाबेटिक लिपि के अंदर आती हैं।
इस लिपि को सीखना चित्र लिपि के मुकाबले काफी कठिन माना जाता है, क्योंकि इसके शब्दों के निर्माण से लेकर वाक्यों के निर्माण तक व्याकरण के नियमों का पालन करना होता है।
अल्फाबेटिक लिपि में स्वर व्यंजन के बाद और अपने पूरे रूप के साथ आता है, अल्फाबेटिक लिपियों के प्रकार निम्न हैं:
- यूनानी लिपि: गणित के चिन्ह और यूनानी भाषा
- अरबी लिपि: अरबी, कश्मीरी, उर्दू, फ़ारसी
- इब्रानी लिपि: इब्रानी
- रोमन लिपि: पश्चिम यूरोप की सारी भाषाएं और अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन
- सिरिलिक लिपि: सोवियत संघ की सारी भाषाएं, रूसी
3. अल्फासिलेबिक लिपि किसे कहते हैं ?
भारत की अधिकतर भाषाएँ इसी लिपि में लिखी जाती हैं। इसमें स्वर अपने मूल स्वरूप में तभी चिह्नित किया जाता है, जब उसके आगे कोई व्यंजन न हो।
अगर उसके आगे कोई व्यंजन होता है, तब स्वर की मात्रा का चिन्ह लगाया जाता है। इस प्रकार इस लिपि में स्वर को 2 तरह से चिह्नित किया जाता है, जैसे ” इ ” स्वर को “ि ” और ” इ ” दोनों तरह से चिह्नित किया जाता है।
अगर स्वर शब्द का पहला अक्षर है, तो उसे ” इ ” के रूप में चिह्नित किया जाएगा, वहीं अगर स्वर किसी व्यंजन के साथ आ रहा है, तो उसे मात्रा के रूप “ि” से चिह्नित किया जाएगा।
अल्फासिलेबिक लिपि में देवनागरी ( हिंदी, संस्कृत, नेपाली, मराठी इत्यादि भाषा ), ब्राह्मी लिपि ( पुरानी संस्कृत, पाली ) गुजरती लिपि, बंगाली, तमिल और गुरुमुखी ( पंजाबी ) लिपियाँ आती हैं।
इस लिपि को सीखना सबसे कठिन होता है, क्योंकि इसमें स्वर को 2 तरह से याद रखना होता है, जिसे व्याकरण के नियमों के हिसाब से प्रयोग में लाया जाता है।
अल्फासिलेबिक लिपि के अनुसार इसकी प्रत्येक इकाई में अगर एक या एक से अधिक व्यंजन होता है तो उस पर स्वर की मात्रा का चिन्ह लगाया जाता है। अगर इकाई में व्यंजन नही होता है तो स्वर का पूरा चिन्ह लगा दिया जाता है अल्फासिलेबिक लिपियों के प्रकार निम्न हैं:
- देवनागरी लिपि: नेपाली, संस्कृत, मराठी
- ब्राह्मी लिपि: पहले के समय मे संस्कृत और पाली
- गुजराती लिपि: गुजराती
- बंगाली लिपि: बंगला
- तमिल लिपि: तमिल
- गुरुमुखी लिपि: पंजाबी
4. ब्रेल लिपि किसे कहते हैं ? | Braille Lipi Kya Hai
ब्रेल लिपि दरअसल उन व्यक्तियों के लिए होती है, जो देख नहीं सकते। इस लिपि में ध्वनियों को चिह्नित करने के लिए उभरे हुए Dots ( . ) का प्रयोग किया जाता है।
उन Dots ( . ) को हर एक अक्षर के हिसाब से एक खास पैटर्न में उकेरा जाता है, जिसपर हाथ फेरकर पाठक अक्षरों और शब्दों को पढ़ पाता है।
इस लिपि को फ्रांस के एक शिक्षाविद तथा अन्वेषक लुई ब्रेल ने विकसित किया था। इन्हीं के नाम पर इस लिपि का नाम ब्रेल लिपि पड़ा।
एक दुर्घटना में लुई ब्रेल की दोनों आँखें चली गयी और उसके बाद ही उन्होंने इस लिपि को विकसित किया, ताकि दुनियाभर के लाखों नेत्रहीन लोग भी पढ़ लिख पाए।
इन्होंने शुरुआत में सिर्फ शब्दों को पढ़ने के लिए इस लिपि का विकास किया था। हर एक अक्षर को चिह्नित करने के लिए 6 Dots ( . ) का इस्तेमाल किया जिसमें कुछ उभरे होते हैं, तो कुछ या तो प्लेन या फिर अंदर की तरह धंसे होते हैं।
बाद में इस लिपि में कुछ बदलाव किये गए, जिसमें शब्दों के साथ-साथ गणित के चिन्हों को भी जोड़ा गया। अब तो संगीत के नोट्स भी ब्रेल लिपि में लिखी जा सकती है।
हिंदी भाषा की लिपि क्या है | Hindi Bhasha Ki Lipi Kya Hai
हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी है। अल्फासिलैबिक (Alpha syllabic) लिपियाँ में देवनागरी लिपि आती है और हिंदी भाषा इसी का अंश है। हिंदी ही नहीं बल्कि उर्दू ,संस्कृत ,मराठी ,नेपाली भाषाओं की लिपि भी देवनागरी है।
प्राचीन काल में जब भाषाओं का विकास नहीं हुआ था तो कई सालों तक लिपि के लिए चित्र लिपि को प्रयोग किया जाता था। समय के साथ साथ कई लिपियों को प्रयोग में लाया जाने लगा था।
भारत में ब्राम्ही और खरोष्ठी का उपयोग अधिक मात्रा में किया जाता है।
देवनागरी लिपि ब्राह्मी लिपि से ही उपजी है। हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी है और इस लिपि को बाएं से दाहिनी ओर लिखा जाता है। हिंदी के आलावा संस्कृत ,पालि, मराठी, सिन्धी, कश्मीरी, डोगरी, नेपाली आदि देवनागरी लिपि की भाषाएँ हैं।
भारत में कितनी भाषाएं हैं | Bhasha Ki Lipi
नीचे आपको भारतीय संविधान में स्वीकृत भारत की 22 भाषाएं एवं उनकी लिपिओं की सूची दी गई है-
No. | भाषा का नाम (Bhasha Ka Naam) | लिपि का नाम (Lipi Ka Naam) |
1 | हिंदी | देवनागरी |
2 | सिंधी | देवनागरी/ फारसी |
3 | पंजाबी | गुरुमुखी |
4 | कश्मीरी | फारसी |
5 | गुजराती | गुजराती |
6 | मराठी | देवनागरी |
7 | उड़िया | उड़िया |
8 | बांग्ला | बांग्ला |
9 | असमिया | असमिया |
10 | उर्दू | फारसी |
11 | तमिल | ब्राह्मी |
12 | तेलुगू | ब्राह्मी |
13 | मलयालम | ब्राह्मी |
14 | कन्नड़ | कन्नड़/ ब्रह्मी |
15 | कोंकणी | देवनागरी |
16 | संस्कृत | देवनागरी |
17 | नेपाली | देवनागरी |
18 | संथाली | देवनागरी/ओलचिकी |
19 | डोंगरी | देवनागरी |
20 | मणिपुरी | मणिपुरी |
21 | वोडों | देवनागरी |
22 | मैथिली | देवनागरी/ मैथिली |
देवनागरी लिपि, देवनागरी लिपि किसे कहते हैं
देवनागरी लिपि का जन्म ब्राह्मी लिपि से हुआ है।
इसे बाएं से दाएं लिखा जाता है।
इसे जब भाषा में लिखते हैं तब शब्दों के ऊपर एक रेखा होती है, जिसे शिरोरेखा कहते हैं, यही इसकी पहचान होती है।
इसमें 52 अक्षर हैं जिनमें से 14 स्वर और 38 व्यंजन होते हैं। इसमें एक ध्वनि के लिए एक संकेत देने वाला निशान होता है अथवा जैसे बोलते हैं वैसे ही लिखते हैं।
इसमें लिखने और pronounciation में एक ही रूप होता है, अथवा जैसे लिखते हैं वैसे ही पढ़ते हैं।
इस लिपि की भाषाएं कुछ इस तरह से हैं: Sanskrit, पालि, हिन्दी, मराठी, Konkani, सिन्धी, कश्मीरी, Haryanvi, डोगरी, खस, नेपाल भाषा आदि।
ब्राह्मी लिपि भारत की सभी लिपियों की जननी है। हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी ब्राह्मी लिपि से ही निकली है। समय के साथ साथ ब्राह्मी लिपि को भी कई भागों में बांटा गया।
गुप्त काल के शुरुआत में ब्राह्मी लिपि को 2 भागों में बांटा गया जो इस प्रकार थी उत्तरी ब्राह्मी और कुटिल लिपिकुटिल ब्राह्मी।
उत्तरी ब्राह्मी से 2 लिपियों का जन्म हुआ -पहली गुप्त लिपि और दूसरी सिद्ध मातृका लिपि। कुटिल लिपिकुटिल लिपि को 4 भागों में बांटा गया है -नागरी लिपि ,शारदा लिपि ,Western ब्राह्मी ,देवनागरी लिपि का नामकरण। देवनागरी लिपि एक ध्वन्यात्मक लिपि है।
देवनागरी लिपि का प्रयोग करने वाली भाषाएँ
देवनागरी लिपि भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में प्रचलित है। भारत के मध्य प्रदेश ,उत्तर प्रदेश ,महाराष्ट्र ,गुजरात आदि राज्यों में मिले शिलालेखों ,ग्रंथों ,ताम्रपत्रों में देवनागरी लिपि को ही प्रयोग में लाया गया है।
अवधि | खड़िया | जिरेल |
कनौजी | गढ़वाली | जुमली |
कोंकणी | गुर्जरी | तिलुड़ |
कश्मीरी | गुरुड़ | वारली |
कांगड़ी | गोण्डी | वासवी |
कोया | चाम्बियाली | वागड़ी |
किन्नौरी | चमलिड़ | वाम्बुले |
कुड़माली | चुराही | हिंदी |
कुमाउनी | चेपाड़ भाषा | संस्कृत |
खानदेशी | छत्तीसगढ़ी | मराठी |
खालिड़ | चिन्ताङ | नेपाली |
देवनागरी लिपि की विशेषता
- पुराने समय में प्रयोग की जाने वाली देवनागरी आज के समय की देवनागरी से अलग है। अधिनिक देवनागरी लिपि में 52 वर्ण है।
- हर एक ध्वनि के लिए सांकेतिक चित्रों का प्रयोग किया जाता है।
- स्वर्ग और व्यंजनों का क्रम विन्यास उच्चारण के स्थान को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
- मात्राओं की संख्या के आधार पर छंदों को बांटा गया है।
- लिपि के चिन्हों और उनकी ध्वनि में समानता।
- देवनागरी में स्माल लेटर और कैपिटल लेटर की व्यवस्था नहीं है।
- एक वर्ण के ऊपर कई मात्राओं का प्रयोग होता है जिससे ध्वनि में परिवर्तन होता है।
- बाएं से दाहिनी और लिखी जाती है।
- शिरोरेखा ,संयुक्त अक्षरों का प्रयोग।
लिपि का इतिहास | History of Lipi
भारत में भी प्राचीन समय में बहुत सालों तक लिपि के लिए सबसे पहले चित्र लिपि का इस्तेमाल ही किया था।
पुरातन विभाग को खुदाई के दौरान मिले Harappa और Mohenjo Daro के अवशेषों में बहुत सी चित्र मील मिली हैं।
धीरे-धीरे बहुत सी लिपियों का इस्तेमाल होने लगा पर, यह दो लिपि बहुत ही ज्यादा जरूरी है।
1. ब्राह्मी
2. खरोष्ठी
यह दो लिपियां पहले के समय में भारत में बहुत ही ज्यादा इस्तेमाल की जाती थी। यह दोनों बहुत पुराने समय में hindi bhasha ki lipi हुआ करती थीं।
ब्राह्मी को बाएं से दाएं लिखा जाता था और खरोष्ठी को दाएं से बाएं लिखा जाता था।
ब्राह्मी आगे दो भागों में विभाजित हुई एक North शैली और दूसरी Western शैली। हालाकि ब्राह्मी लिपि खरोष्ठी लिपि से ज्यादा इस्तेमाल की गई थी और ज्यादा famous भी हुई थी।
खरोष्ठी को सिंध, कश्मीर और पंजाब के बाहरी regions में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता था। धीरे-धीरे यह लिपि लुप्त होकर नई लिपि बन गई।
ब्राह्मी का ज्यादा इस्तेमाल किए जाने के कारण ब्राह्मी में से नागरी और देवनागरी लिपि बनी। आज के समय में ज्यादातर भारतीय भाषाओं की लिपि देवनागरी ही है।
Hindi भाषा लिपि देवनागरी का इतिहास
देवनागरी को ब्राम्ही लिपि परिवार का हिस्सा माना जाता है। नागरी लिपि को देवनागरी लिपि से काफी निकट माना जाता है। नागरी लिपि देवनागरी लिपि का पूर्वरूप भी है। 8 वीं सदी में चित्रकूट द्वारा और इसके बाद 9 वीं सदी में बडौदा के ध्रुवराज द्वारा देवनागरी लिपि का प्रयोग किया गया था।
785 में राष्ट्रकूट नरेश दन्तिदुर्ग के सामगढ ताम्रपत्र पर देवनागरी लिपि अंकित है। 11 वीं सदी में चोलराजा राजेंद्र के सिक्कों पर भी देवनागरी लिपि मिलती है। इसके आलावा प्रतिहार नरेश महेन्द्रपाल के दानपत्र पर भी देवनागरी लिपि अंकित है।
मेहमूद गजनी के चांदी के सिक्कों पर भी देवनागरी लिपि में संस्कृत का प्रयोग हुआ है। इतना ही नहीं मुहम्मद विनसाम (1112 से 1205 ) के सिक्कों पर भी देवनागरी लिपि का प्रयोग हुआ है।
सानुद्दीन फिरोजशाह प्रथम, बहराम शाह, अलाऊद्दीन मसूदशाह,जलालुद्दीन रज़िया, नासिरुद्दीन महमूद, मुईजुद्दीन, गयासुद्दीन बलवन, मुईजुद्दीन कैकूबाद आदि के द्वारा भी अपने सिक्कों पर देवनागरी अक्षरों का प्रयोग किया गया है।
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FAQ | लिपि | Lipi
Q1. लिपि क्या है
Ans – लिखित रूप में किसी भी भाषा का प्रतिनिधित्व करने के लिए जिन प्रतीकों का उपयोग किया जाता है, उन्हें स्क्रिप्ट कहा जाता है।
लिपि मानव विचारों के संचार का माध्यम है। अर्थात किसी भाषा को लिखने की विधि को लिपि कहते हैं। हर भाषा की एक अलग लिपि होती है।
उदाहरण : हिंदी और संस्कृत भाषा की लिपि का नाम देवनागरी लिपि है। अंग्रेजी भाषा की लिपि का नाम रोमन और उर्दू भाषा की लिपि का नाम फारसी है।
Q2. हिंदी भाषा की लिपि कौन सी है
Ans – हिंदी भाषा का उद्गम देवनागरी संस्कृत से हुआ है। जैसा कि आपको यह भी पता होगा कि मूलतः संस्कृत की कोई लिपि नहीं थी। किंतु समय के साथ साथ ब्राह्मी खरोस्ट्री से होते हुए वर्तमान देवनागरी तक आते आते संस्कृत को श्रुति और स्मृति विधा के साथ साथ देवनागरी लिपि में भी लिखा जाने लगा। अतः उसके बाद से भाषा को संस्कारित करके उसे संस्कृत कहा जाने लगा और उसे देवनागरी लिपि कहा गया। हिंदी को भी संस्कृत की इसी देवनागरी लिपि में लिखा जाता है।
Q3. पांडुलिपि किसे कहते हैं
Ans – पाण्डुलिपि (manuscript) उस दस्तावेज को कहते हैं जो एक व्यक्ति या अनेक व्यक्तियों द्वारा हाथ से लिखी गयी हो। जैसे हस्तलिखित पत्र। मुद्रित किया हुआ या किसी अन्य विधि से, किसी दूसरे दस्तावेज से (यांत्रिक/वैद्युत रीति से) नकल करके तैयार सामग्री को पाण्डुलिपि नहीं कहते हैं।
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