समास किसे कहते हैं | Samas Kise Kahate Hain

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समास किसे कहते हैं | Samas Kise Kahate Hain

समास शब्द ‘सम्’ और ‘आस’ के संयोग से बना है, जहां ‘सम्’ का अर्थ समीप एवं ‘आस’ का अर्थ बैठाना होता है। अत: दो या दो से अधिक पदों के साथ प्रयुक्त विभक्ति चिह्नों या योजक पदों या अव्यय पदों का लोप कर नए पद की निर्माण प्रक्रिया को समास कहते हैं। समास शब्द का विलोम शब्द ‘व्यास’ होता है।

जब दो या दो से अधिक शब्दों के संयोग से किसी एक नए और सार्थक शब्द की रचना की जाती है, तो इस प्रक्रिया को समास कहते हैं।

समास के द्वारा कम से कम शब्दों से अधिक से अधिक अर्थ व्यक्त करने की कोशिश की जाती है।

समास के संयोग से प्रमुख शब्द रह जाते हैं और सहायक शब्दों का लोप हो जाता है, जिससे एक नवीन शब्द का निर्माण होता है।

समास के उदाहरण | Samas Ke Udaharan

  • चक्र है पाणि में जिसके वह – चक्रपाणि
  • माल को ढोने वाली गाड़ी – मालगाड़ी
  • रेल पर चलने वाली गाड़ी – रेलगाड़ी
  • हस्त से लिखित – हस्तलिखित
  • देश के लिए भक्ति = देशभक्ति
  • घोड़ों के लिए साल (भवन) = घुड़साल
  • सभा के लिए मंडप = सभामंडप
  • गुण से रहित = गुणरहित

समास की परिभाषा | Samas Ki Paribhasha

दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से जो नया शब्द बनता है, उसे समस्त पद कहते है और इस मेल की प्रक्रिया को समास कहते हैं। 

दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जहाँ पर कम-से-कम शब्दों में अधिक से अधिक अर्थ को प्रकट किया जाए वह समास कहलाता है।

रसोई के लिए घर इसे हम रसोईघर भी कह सकते हैं।‘राजा का पुत्र’ – राजपुत्रसमास रचना में दो पद होते हैं , पहले पद को ‘पूर्वपद ‘ कहा जाता है और दूसरे पद को ‘उत्तरपद ‘ कहा जाता है। इन दोनों से जो नया शब्द बनता है वो समस्त पद कहलाता है। जैसे :-

  • रसोई के लिए घर = रसोईघर
  • हाथ के लिए कड़ी = हथकड़ी
  • नील और कमल = नीलकमल
  • रजा का पुत्र = राजपुत्र

सामासिक शब्द किसे कहते है?

समास के नियमों से निर्मित शब्द सामासिक शब्द कहलाता है। इसे समस्तपद भी कहते हैं। समास होने के बाद विभक्तियों के चिह्न (परसर्ग) लुप्त हो जाते हैं।
जैसे- राजपुत्र

समास-विग्रह किसे कहते है?

सामासिक शब्दों के बीच के संबंधों को स्पष्ट करना समास-विग्रह कहलाता है।विग्रह के पश्चात सामासिक शब्दों का लोप हो जाता है|

जैसे- राज+पुत्र-राजा का पुत्र

समास के कितने भेद हैं, समास के प्रकार | Samas Ke Bhed, Samas Ke Kitne Bhed Hote Hain, Samas Kitne Prakar Ke Hote Hain, Samas Ke Prakar

समास की प्रक्रिया में दो पदों का योग होता है। इन दोनों पदों के योग से बनने वाले सामासिक पद में किसी एक पद का अर्थ प्रमुख होता है। अर्थ की इसी प्रधानता के आधार पर समास के भेद किए गए हैं।

  1. अव्ययीभाव समास
  2. तत्पुरुष समास
  3. कर्मधारय समास
  4. द्विगु समास
  5. द्वन्द समास
  6. बहुव्रीहि समास

अव्ययीभाव समास किसे कहते है | Avyayibhav Samas

इसमें प्रथम पद अव्यय होता है और उसका अर्थ प्रधान होता है उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। इसमें अव्यय पद का प्रारूप लिंग, वचन, कारक, में नहीं बदलता है वो हमेशा एक जैसा रहता है।

जिस समास में प्रथम पद या पूर्व पद प्रधान हो तथा समस्त पद क्रिया विशेषण अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas) कहते हैं। यदि किसी सामासिक पद में प्रथम पद उपसर्ग या अव्यय पद हो तो उसे भी अव्ययीभाव समास ही माना जाता है। किसी सामासिक पद में संज्ञा या अव्यय पद की पुनरावृत्ति होने पर भी अव्ययीभाव समास ही माना जाता है।

अव्ययीभाव समास के प्रकार | Avyayibhav Samas Ke Prakar

अव्ययीभाव समास के दो प्रकार होते हैं- अव्यय पद पूर्व अव्ययीभाव समास और नाम पद पूर्व अव्ययीभाव समास।

  • अव्यय पद पूर्व अव्ययीभाव समास | Avyay Pad Purv Avyayibhav Samas
  • नाम पद पूर्व अव्ययीभाव समास | Naam Pad Purv Avyayibhav Samas

अव्ययीभाव समास के 10 उदाहरण | Avyayibhav Samas Ke Udaharan

  • रातों रात = रात ही रात में
  • प्रतिवर्ष =हर वर्ष
  • आजन्म = जन्म से लेकर
  • यथासाध्य = जितना साधा जा सके
  • धडाधड = धड-धड की आवाज के साथ
  • आमरण = म्रत्यु तक
  • यथाकाम = इच्छानुसार
  • यथास्थान = स्थान के अनुसार
  • निर्विवाद = बिना विवाद के
  • निर्विकार = बिना विकार के
  • प्रतिपल = हर पल
  • अनुकूल = मन के अनुसार
  • अनुरूप = रूप के अनुसार
  • यथासमय = समय के अनुसार
  • यथाशीघ्र = शीघ्रता से
  • अकारण = बिना कारण के
  • यथासामर्थ्य = सामर्थ्य के अनुसार

तत्पुरुष समास किसे कहते है, तत्पुरुष समास | Tatpurush Samas

जिस समास में द्वितीय पद या उत्तर पद प्रधान हो तथा दोनों पदों के मध्य कारक विभक्ति का लोप हो तो उसे तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas) कहते हैं। इस समास में प्रथम एवं द्वितीय पद के मध्य कारक चिन्हों का लोप होता है और जब सामासिक पद का समास-विग्रह किया जाता है, तो कर्ता कारक एवं सम्बोधन कारक को छोड़कर शेष कारकों के कारक चिन्हों का प्रयोग किया जाता है।

तत्पुरुष समास में प्रथम पद प्रधान नहीं होता है। इसमें द्वितीय पद प्रधान होता है, जब किसी सभद को दो या दो से अधिक पदों से मिलाकर बनाए जाता है और उसमें द्वितीय पद प्रधान होता है, तब उसे हम तत्पुरुष समास कहते है।

इस समास में दूसरा पद प्रधान होता है। यह कारक से जुड़ा समास होता है। इसमें ज्ञातव्य – विग्रह में जो कारक प्रकट होता है उसी कारक वाला वो समास होता है। इसे बनाने में दो पदों के बीच कारक चिन्हों का लोप हो जाता है उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।

तत्पुरुष समास के 10 उदाहरण | Tatpurush Samas Ke Udaharan

  • राजा का कुमार = राजकुमार
  • धर्म का ग्रंथ = धर्मग्रंथ
  • रचना करने वाला = रचनाकार
  • राजा का पुत्र = राजपुत्र
  • शर से आहत = शराहत
  • राह के लिए खर्च = राहखर्च
  • तुलसी द्वारा कृत = तुलसीदासकृत
  • राजा का महल = राजमहल
  • गगन को चूमने वाला = गगनचुंबी
  • स्वर्ग को प्राप्त = स्वर्गप्राप्त
  • ग्राम को गया हुआ  = ग्रामगत

तत्पुरुष समास के भेद | Tatpurush Samas Ke Bhed

वैसे तो तत्पुरुष समास के 8 भेद होते हैं किन्तु विग्रह करने की वजह से कर्ता और सम्बोधन दो भेदों को लुप्त रखा गया है।

जिस तत्पुरुष समास में प्रथम पद तथा द्वतीय पद दोनों भिन्न-भिन्न विभक्तियों में हो, उसे व्यधिकरण तत्पुरुष समास कहते हैं। उदाहरणतया- राज्ञ: पुरुष: – राजपुरुष: में प्रथम पद राज्ञ: षष्ठी विभक्ति में है तथा द्वतीय पद पुरुष: में प्रथमा विभक्ति है। इस प्रकार दोनों पदों में भिन्न-भिन्न विभक्तियाँ होने से व्यधिकरण तत्पुरुष समास हुआ।

इसलिए विभक्तियों के अनुसार तत्पुरुष समास के 6 भेद होते हैं :-

  • कर्म तत्पुरुष समास
  • करण तत्पुरुष समास
  • सम्प्रदान तत्पुरुष समास
  • अपादान तत्पुरुष समास
  • सम्बन्ध तत्पुरुष समास
  • अधिकरण तत्पुरुष समास

कर्मधारय समास किसे कहते है, कर्मधारय समास | Karmadharaya Samas

इस समास का उत्तर पद प्रधान होता है। इस समास में विशेषण -विशेष्य और उपमेय -उपमान से मिलकर बनते हैं उसे कर्मधारय समास कहते हैं।

कर्मधारय समास के 10 उदाहरण | Karmadharaya Samas Ke Udaharan

  • चन्द्रमुख = चन्द्र जैसा मुख
  • पीताम्बर = पीत है जो अम्बर
  • महात्मा = महान है जो आत्मा
  • लालमणि = लाल है जो मणि
  • महादेव = महान है जो देव
  • देहलता = देह रूपी लता
  • नवयुवक = नव है जो युवक
  • अधमरा = आधा है जो मरा
  • प्राणप्रिय = प्राणों से प्रिय
  • श्यामसुंदर = श्याम जो सुंदर है
  • नीलकंठ = नीला है जो कंठ
  • महापुरुष = महान है जो पुरुष
  • नरसिंह = नर में सिंह के समान

कर्मधारय समास के भेद | Differences of Karmadhari Samas

  • विशेषणोंभयपद कर्मधारय समास
  • विशेष्योभयपद कर्मधारय समास
  • विशेषणपूर्वपद कर्मधारय समास
  • विशेष्यपूर्वपद कर्मधारय समास
  • विशेषण पूर्वपद कर्मधारय समास

द्विगु समास किसे कहते है, द्विगु समास | Dvigu Samas

द्विगुसमास में पूर्वपद संख्यावाचक होता है और कभी-कभी उत्तरपद भी संख्यावाचक होता हुआ देखा जा सकता है। इस समास में प्रयुक्त संख्या किसी समूह को दर्शाती है किसी अर्थ को नहीं |इससे समूह और समाहार का बोध होता है। उसे द्विगु समास कहते हैं।

द्विगु समास के 10 उदाहरण | Dvigu Samas Ke Udaharan, Digu Samas Ke Udaharan

  • त्रिवेणी = तीन वेणियों का समूह
  • पंचतन्त्र = पांच तंत्रों का समूह
  • त्रिलोक = तीन लोकों का समाहार
  • शताब्दी = सौ अब्दों का समूह
  • पंसेरी = पांच सेरों का समूह
  • सतसई = सात सौ पदों का समूह
  • चौगुनी = चार गुनी
  • त्रिभुज = तीन भुजाओं का समाहार
  • चौमासा = चार मासों का समूह
  • नवरात्र = नौ रात्रियों का समूह
  • अठन्नी = आठ आनों का समूह
  • सप्तऋषि = सात ऋषियों का समूह
  • त्रिकोण = तीन कोणों का समाहार

द्विगु समास के भेद

  • समाहारद्विगु समास – इसमें समाहार का अर्थ है समुदाय , इकट्ठा होना , समेटना उसे समाहारद्विगु समास कहते हैं। जैसे : तीन लोकों का समाहार = त्रिलोक।
  • उत्तरपदप्रधानद्विगु समास – उत्तरपदप्रधानद्विगु समास के दो भेद होते हैं। अ)- बेटा या फिर उत्पत्र के अर्थ में। जैसे :- दो माँ का =दुमाता
  • समाहारद्विगु समास – वह समास जिसमे सच में उत्तरपद पर जोर दिया जाये समाहारद्विगु समास कहते है । जैसे : पांच प्रमाण = पंचप्रमाण

द्वन्द समास किसे कहते है , द्वंद्व समास| Dvandva Samas

इस समास में दोनों पद ही प्रधान होते हैं इसमें किसी भी पद का गौण नहीं होता है। ये दोनों पद एक-दूसरे पद के विलोम होते हैं लेकिन ये हमेशा नहीं होता है। इसका विग्रह करने पर और, अथवा, या, एवं का प्रयोग होता है उसे द्वंद्व समास कहते हैं।

द्वंद्व समास के 10 उदाहरण | Dvandva Samas Ke Udaharan

  • अन्न-जल = अन्न और जल
  • नर-नारी = नर और नारी
  • गुण-दोष = गुण और दोष
  • देश-विदेश = देश और विदेश
  • अमीर-गरीब = अमीर और गरीब
  • नदी-नाले = नदी और नाले
  • धन-दौलत = धन और दौलत
  • सुख-दुःख = सुख और दुःख
  • आगे-पीछे = आगे और पीछे
  • ऊँच-नीच = ऊँच और नीच

बहुव्रीहि समास किसे कहते है, बहुव्रीहि समास | Bahuvrihi Samas

इस समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता। जब दो पद मिलकर तीसरा पद बनाते हैं तब वह तीसरा पद प्रधान होता है। इसका विग्रह करने पर “वाला है, जो, जिसका, जिसकी, जिसके, वह” आदि आते हैं वह बहुब्रीहि समास कहलाता है।

बहुव्रीहि समास के 10 उदाहरण | Bahuvrihi Samas Ka Udaharan

  • नीलकंठ = नीला है कंठ जिसका (शिव)
  • लम्बोदर = लम्बा है उदर जिसका (गणेश)
  • दशानन = दश हैं आनन जिसके (रावण)
  • चतुर्भुज = चार भुजाओं वाला (विष्णु)
  • पीताम्बर = पीले हैं वस्त्र जिसके (कृष्ण)
  • चक्रधर= चक्र को धारण करने वाला (विष्णु)
  • वीणापाणी = वीणा है जिसके हाथ में (सरस्वती)
  • स्वेताम्बर = सफेद वस्त्रों वाली (सरस्वती)
  • सुलोचना = सुंदर हैं लोचन जिसके (मेघनाद की पत्नी)
  • दुरात्मा = बुरी आत्मा वाला (दुष्ट)
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FAQ | समास, कौन सा समास है | Samas

Q1. समास किसे कहते हैं उदाहरण

Ans – दो या दो से अधिक सार्थक शब्दों के परस्पर मेल को समास कहते है।

उदाहरण –
चरणकमल – कमल के समान चरण
नीलकंठ– नीला है जो कंठ
चौराहा- चार राहों का समूह
समास रचना में दो पद होते हैं पहले पद को ‘पूर्वपद ‘ कहा जाता है और दूसरे पद को ‘उत्तरपद ‘ कहा जाता है। इन दोनों से जो नया शब्द बनता है वो समस्त पद कहलाता है।

Q2. देशांतर में कौन सा समास है

Ans – देशांतर शब्द में अधिकरण तत्पुरुष समास होता है। देशांतर शब्द का समास विग्रह देश में अंतर होता है।

Q3. नीलकंठ में कौन सा समास है

Ans – नीलकंठ शब्द में कर्मधारय समास है। नीलकंठ में समास का उपभेद विशेषण विशेष्य कर्मधारय समास है।

Q4. राजपुत्र का समास विग्रह

Ans – राजपुत्र का समास विग्रह राजा का पुत्र है।

Q5. कृताकृत में समास है

Ans – कृताकृत शब्द में द्वन्द्व समास है। क्योकि कृताकृत का समास विग्रह कृत या अकृत होता है जिसका सरल भाषा में अर्थ किया और बिना किया हुआ होता है।

Q6. प्रतिदिन में कौन सा समास है

Ans – प्रतिदिन में अव्ययीभाव समास है।

Q7. चौराहा में कौन सा समास है

Ans – चौराहा शब्द में द्विगु समास है।
चौराहा पहला में पहला पद संख्यावाचक विशेषण है और अन्य पद किसी समूह या किसी समाहार का बोध करा रहे हैं। इसलिए चौराहा शब्द को द्विगु समास का उदाहरण माना जाता है। द्विगु समास के कुछ और उदाहरण है: अठन्नी, त्रिलोक, नवरात्र, आदि।

Q8. पीतांबर का समास विग्रह

Ans – पीताम्बर शब्द में कर्मधारय समास है। पीताम्बर में समास का उपभेद विशेषण विशेष्य कर्मधारय समास है


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