ग्लोबल वार्मिंग क्या है | Global Warming Kya Hai

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ग्लोबल वार्मिंग किसे कहते हैं | Global Warming in Hindi, Global Warming Meaning in Hindi

ग्लोबल वार्मिंग पिछली शताब्दी में पृथ्वी की औसत सतह के तापमान में असामान्य रूप से तेजी से वृद्धि है, मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन जलाने वाले लोगों द्वारा जारी ग्रीनहाउस गैसों के कारण। ग्रीनहाउस गैसों में मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, ओजोन, कार्बन डाइऑक्साइड, जल वाष्प और क्लोरोफ्लोरोकार्बन शामिल हैं। हर गुजरते साल के साथ मौसम की भविष्यवाणी अधिक जटिल होती जा रही है, मौसम अधिक अप्रभेद्य होते जा रहे हैं और सामान्य तापमान गर्म होता जा रहा है। 21 वीं सदी की शुरुआत के बाद से तूफान, चक्रवात, सूखा, बाढ़ आदि की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। इन सभी परिवर्तनों के पीछे का पर्यवेक्षक ग्लोबल वार्मिंग है।

वैश्विक तापमान यानी ग्लोबल वार्मिंग आज विश्व की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। इससे न केवल मनुष्य , बल्कि पृथ्वी पर रहने वाला प्रत्येक प्राणी त्रस्त है। ग्लोबल वार्मिंग ‘ शब्द का अर्थ है ‘ संपूर्ण पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होना।

हमारी पृथ्वी पर वायुमंडल की एक परत है , जो विभिन्न गैसों से मिलकर बनी है , जिसे ओज़ोन परत कहते हैं । ये ओज़ोन परत सूर्य से आने वाली पराबैंगनी तथा अन्य हानिकारक किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकती है। मानवीय क्रियाओं द्वारा ओज़ोन परत में छिद्र हो जाने के कारण सूर्य की हानिकारक किरणें पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश . कर रही हैं । परिणामस्वरूप पृथ्वी के तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है । ग्लोबल वार्मिंग के कारण कई समुद्री तथा पृथ्वी पर रहने वाले जीव – जंतुओं की प्रजातियों के अस्तित्व पर खतरा छाया हुआ है, साथ ही मनुष्यों को भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है ।

यदि समय रहते ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के उपाय नहीं किए , तो हमारी पृथ्वी जीवन के योग्य नहीं रह जाएगी । इसे रोकने के लिए हमें प्रदूषण को कम करना होगा । साथ ही कार्बन डाइ – ऑक्साइड सहित अन्य गैसों के उत्सर्जन में कमी तथा वृक्षारोपण को बढ़ावा देना होगा , जिससे प्रकृति में पर्यावरण संबंधी संतुलन बना रहे ।

ग्लोबल वार्मिंग क्या है इसके प्रमुख कारण लिखिए | Global Warming Definition Causes and Effects

ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी की सतह (जमीन और पानी दोनों) के तापमान के साथ-साथ वायुमंडल में वर्तमान वृद्धि है। पिछले 100 वर्षों में दुनिया भर में औसत तापमान 0.75 डिग्री सेल्सियस (1.4 डिग्री फारेनहाइट) बढ़ गया है, इस वृद्धि का दो तिहाई 1975 के बाद से हुआ है।

बहुत पहले, जब पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हुई थी तब यह प्राकृतिक कारणों का परिणाम था लेकिन आज यह मानव गतिविधियों द्वारा उत्पादित वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों के संचय के कारण हो रहा है।

ग्लोबल वार्मिंग का कारण | Causes of Global Warming

नीचे आप उन कारणों को जान सकते हैं जो ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार हैं।

ग्लोबल वार्मिंग के मानव जनित कारण

वाहनों का इस्तेमाल 

भले ही वाहन हमारे कहीं आने-जाने को सुविधाजनक बनाते हों, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग का ये एक बड़ा कारण हैं. थोड़ी दूरी तक चलाने पर भी ये कई तरह की गैस उत्सर्जित करते हैं. वाहनों में जीवाश्म ईंधन का दहन होता है जो बड़ी मात्रा में कार्बन-डाइऑक्साइड वातावरण में छोड़ते हैं, जिस कारण तापमान में वृद्धि होती है।

क्लोरोफ्लोरोकार्बन

गर्मियों के दिनों में हम जिन एयर कंडीशनर (AC) और रेफ्रिजरेटर का इस्तेमाल करते हैं, असल में वही गर्मीं बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं. इनके अत्यधिक इस्तेमाल से हम वातावरण में CFCs (क्लोरोफ्लोरोकार्बन) को जोड़ते हैं, जो वायुमंडलीय ओजोन परत को प्रभावित करती है. ओजोन परत धरती की सतह को सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाती है. CFCs, ओजोन परत का ह्रास करती है जिससे पराबैंगनी किरणों को धरती की तरफ आने का रास्ता मिल जाता है और वे पृथ्वी के तापमान को बढ़ाती हैं।

वनों की कटाई 

पौधे ऑक्सीजन का मुख्य स्रोत होते हैं. वे पर्यावरण से कार्बन-डाइऑक्साइड ग्रहण करते हैं ।और ऑक्सीजन छोड़ते हैं, ताकि पर्यावरण संतुलन बना रहे. लेकिन घरेलू और व्यावसायिक जरूरतों को पूरा करने के लिए वनों को काटा जा रहा है. इससे पर्यावरण असंतुलन पैदा हो रहा है, जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देता है।

औद्योगिक विकास

जब से औद्योगीकरण की शुरुआत हुई है, तब से पृथ्वी का तापमान तेजी से बढ़ रहा है. फैक्ट्रियों से होने वाला जहरीला उत्सर्जन पर्यावरण में जहर घोलने के साथ-साथ तापमान में भी वृद्धि कर रहा है. वर्ष 2013 में जलवायु परिवर्तन के लिए अंतर सरकारी पैनल ने बताया कि सन् 1880 से 2012 के बीच वैश्विक तापमान में 0.9 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई है. यदि पूर्व औद्योगिक औसत तापमान से तुलना की जाए तो 1.1 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. सुनने में यह वृद्धि भले ही कम लगती हो, लेकिन असल में तापमान वृद्धि की यह दर एक चिंता का विषय है।

कृषि

विभिन्न कृषि गतिविधियों से कार्बन-डाइऑक्साइड और मीथेन पैदा होती हैं, जो पर्यावरण में ग्रीनहाउस गैसों के रूप में जुड़ती हैं और पृथ्वी के तापमान में वृद्धि करती हैं. उदाहरण के लिए मिट्टी में कीट और सूक्ष्मजीव गतिविधियां और पौधों के सड़ने से मिट्टी से कार्बन-डाइऑक्साइड निकलती है. बढ़ता पशुपालन, चावल की खेती और खाद्य अपशिष्ट मीथेन उत्पति का कारण बन रहे हैं।

बढ़ती आबादी

जनसंख्या का बढ़ना मतलब ज्यादा लोगों द्वारा ऑक्सीजन ग्रहण करना और कार्बन-डाइऑक्साइड छोड़ना. इससे वातावरण में कार्बन-डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है, जो ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनने वाली प्राथमिक गैस है।

ग्लोबल वार्मिंग के प्राकृतिक कारण

जलवाष्प 

जल वाष्प एक प्रकार से ग्रीनहाउस गैस का ही रूप है. जब पृथ्वी का तापमान बढ़ता है तो जल निकायों (जैसे समुद्र, जलाशय) से और अधिक जल वाष्पित होता है, जो वातावरण में रहकर ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाता है।

जंगल की आग

अक्सर हम न्यूज़ चैनलों पर जंगल में लगने वाली आग के बारे में ख़बरें सुनते रहते हैं. इन जंगलों की आग से बड़ी मात्रा में कार्बन युक्त धुआं निकलता है. ये गैसें वातावरण में घुल जाती हैं और पृथ्वी के तापमान को बढ़ाती है, परिणामस्वरूप ग्लोबल वार्मिंग बढ़ जाता है।

ज्वालामुखी 

ज्वालामुखी, ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देने वाला सबसे बड़ा प्राकृतिक कारण माना गया है. ज्वालामुखी के फटने पर निकलने वाली राख और धुआं वातावरण में शामिल हो जाते हैं और जलवायु को प्रभावित करते है।

स्थायी तूषा

स्थायी तूषार (Permafrost) का पिघलना – स्थायी तूषार (पर्माफ्रॉस्ट) यानी मिट्टी की एक मोटी उपसतह जो सालों तक फ्रीजिंग पॉइंट से नीचे रहती है, इसमें पर्यावरणीय गैसें फंसी हुई हैं. यह ग्लेशियर में मौजूद हैं. जब स्थायी तूषार पिघलता है तो यह गैसों को वापस पर्यावरण में छोड़ता है, जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ता है।

ग्लोबल वार्मिंग का चित्र | Global Warming Images

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव | Global Warming Effects

ग्लोबल वार्मिंग से पृथ्वी की जलवायु और जीवन पर पड़ने वाले मुख्य प्रभावों को आप नीचे देख सकते हैं।

तापमान में वृद्धि

ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पृथ्वी के तापमान में एक आश्चर्यजनक बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. सन 1880 से अब तक 1 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ चुका है. तापमान का बढ़ना गलेशियर के पिघलने का कारण बनता है, जो समुद्र के जलस्तर को बढ़ा देता है. आने वाले समय में तटीय क्षेत्रों में इसका विनाशकारी प्रभाव देखने को मिल सकता है।

जलवायु परिवर्तन 

ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जलवायु परिस्थितियों में बदलाव हो रहे हैं. दुनिया के कई देश प्रत्येक वर्ष बाढ़ और सूखे जैसी आपदाओं का सामना कर रहे हैं. यह जलवायु असंतुलन ग्लोबल वार्मिंग का ही परिणाम है।

पारिस्थितिकी तंत्र

पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) के लिए खतरा – ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पारिस्थितिकी तंत्र बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. यह प्रवाल भित्तियों को प्रभावित कर रहा है जिससे समुद्री पौधों और जानवरों की जिंदगी समाप्त हो रही है. बढ़ते तापमान ने प्रवाल भित्तियों की नाजुकता को और बदतर बना दिया है।

कृषि पर प्रभाव 

कृषि पर प्रभाव – ग्लोबल वार्मिंग कृषि को प्रभावित कर सकता है. हालांकि, अभी तक इसके परिणाम हमें दिखाई नहीं दे रहे हैं, लेकिन आने वाले सालों में हमें इसका प्रभाव देखने को मिलेगा. जैसे-जैसे वैश्विक तापमान बढ़ेगा, पौधों के लिए जीवित रहना मुश्किल हो जाएगा और वे मरने लगेंगे. पौधे मनुष्य के भोजन का मुख्य स्रोत हैं, इसलिए आने वाले समय में भोजन की कमी हो सकती है।

रोगों का फैलाव

ग्लोबल वार्मिंग की वजह से गर्मी और आर्द्रता (humidity) के स्वरूप में बदलाव हो रहा है, जिससे मच्छरों का आना-जाना बढ़ रहा है. ये मच्छर अपने साथ बीमारियों का फैलाव कर रहे हैं।

मृत्यु दर में वृद्धि

जिस प्रकार बाढ़ और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएं बढ़ रही हैं, इनके साथ-साथ औसतन मृत्यु दर भी बढ़ रही है. साथ ही ऐसी बीमारियां फैलने का भी खतरा है जो मनुष्य की जिंदगी के लिए बाधा बन सकती हैं।

प्राकृतिक आवास को हानि/नुकसान 

जलवायु में होने वाला वैश्विक बदलाव कई पौधों और जानवरों के आवास को नुकसान पहुंचाता है. ऐसी परिस्थितियों में जानवर अपना प्राकृतिक आवास बदलने के लिए मजबूर हो जाते हैं और कई जानवर लुप्त भी हो चुके हैं. यह जैव विविधता पर ग्लोबल वार्मिंग का एक और बड़ा प्रभाव है।

ग्लोबल वार्मिंग का मानव जीवन पर प्रभाव | Effect of Global Warming

  1. तापमान वृद्धि: यह अनुमान लगाया गया है कि यदि वर्तमान दर पर ग्रीनहाउस गैसों का इनपुट जारी रहता है तो पृथ्वी का औसत तापमान 2050 तक 1.5 से 5.5 डिग्री सेल्सियस के बीच बढ़ जाएगा। यहां तक की पृथ्वी 10,000 साल तक इतनी गर्म हो जाएगी की यहां जीवन संभव नही होगा।
  2. समुद्र के पानी के स्तर में वृद्धि : आज वैश्विक तापमान में वृद्धि के साथ समुद्र का पानी भी बढ़ रहा है। वर्तमान मॉडल इंगित करते हैं कि 3 डिग्री सेल्सियस के औसत वायुमंडलीय तापमान में वृद्धि की वजह से अगले 50-100 वर्षों में औसत वैश्विक समुद्र स्तर 0.2-1.5 मीटर तक बढ़ जाएगा।
  3. मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव : विभिन्न बीमारियां जैसे मलेरिया, फिलीरियासिस आदि बढ़ जायँगी।
  4. कृषि पर प्रभाव : यह दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की फसलों पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव दिखा सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के उपाय | Global Warming Prevention

ग्लोबल वार्मिंग को रोकना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. हम अंतिम पीढ़ी हैं जो जलवायु परिवर्तन की दिशा को बदल सकते हैं, और यदि अभी हमने कोई एक्शन नही लिया तो इसके परिणाम भुगतने वाली अंतिम पीढ़ी भी हम ही होंगे. हम नीचे दिए गए उपायों की मदद से ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ने से रोक सकते हैं।

हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए

जैसा की हम जानते हैं, पेड़ पर्यावरण से कार्बन-डाइऑक्साइड को ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं. कार्बन-डाइऑक्साइड हमारे वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों का 82 प्रतिशत निर्माण करती है. इसलिए पेड़ लगाकर हम इसे वायुमंडल से कम कर सकते हैं।

हमें निजी वाहनों का उपयोग कम करना चाहिए

वाहनों से होने वाला गैसीय उत्सर्जन का जलवायु परिवर्तन में सबसे बड़ा योगदान है. यदि हम वाहनों का इस्तेमाल बिल्कुल भी बंद कर देते हैं तो हमारी लाइफ बहुत अच्छी हो सकती है, लेकिन ऐसा करना सबके लिए संभव नहीं है. इसलिए हमें अपनी आदतों में सुधार करना चाहिए. हम प्राइवेट वाहन ऑर्डर करने की जगह carpooling या rideshare का सहारा ले सकते हैं. जितना संभव हो सके साइकिल से या पैदल चलने का प्रयास करें. पेट्रोल या डीजल से चलने वाले व्हीकल्स की जगह इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने का प्रयास करें।

अधिक रिसाइकिल करके हम ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ने से रोक सकते हैं

यहां मुख्य उद्देश्य वातावरण से कार्बन-डाइऑक्साइड को कम करना है. यदि आप अपने घर का केवल आधा कचरा रिसाइकिल करते हैं तो आप प्रतिवर्ष 2000 पौंड (907 kg) कार्बन-डाइऑक्साइड बनने से रोक सकते हैं।

नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल, ग्लोबल वार्मिंग रोकने के प्रभावी तरीकों में शामिल एक तरीका है

 हमें जीवाश्म ईंधनों की जगह सोलर, जियोथर्मल, पवन और बायोमास ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल करना चाहिए. हमें घर पर पावर सप्लाई के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल करना चाहिए।

हमें energy efficient ऊर्जा उपकरणों का इस्तेमाल करना चाहिए

यदि हम energy efficient उपकरण जैसे bulbs, LED lights या solar powered shower system का इस्तेमाल करते हैं तो ऊर्जा खपत में काफी कमी आ सकती है और यह स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में भी मदद करता है. यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने का सबसे आसान तरीका है, जो वातावरण में कार्बन-डाइऑक्साइड की मात्रा को कम कर सकता है।

ज्यादा से ज्यादा लोगों तक ग्लोबल वार्मिंग की जानकारी पहुंचानी चाहिए 

और उन्हें इसके कारण, प्रभाव और रोकने के उपायों के बारे में बताना चाहिए. इसके लिए हम सोशल मीडिया पर जागरूकता अभियान चला सकते हैं. यदि आप इस जानकारी को अपने दोस्तों, परिवार वालों और सहकर्मियों के साथ शेयर करते हैं तो यह ग्लोबल वार्मिंग रोकने की शुरुआत का पहला कदम होगा।

ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है | Green House Effects in Hindi : इसके बारे में और अधिक पढ़ने के लिए क्लिक करें

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध | Global Warming Essay in Hindi

लंबे समय से, यह देखा गया है कि पृथ्वी का बढ़ता तापमान वन्य जीवन, जानवरों, मनुष्यों और पृथ्वी पर हर जीवित जीव को प्रभावित करता था। ग्लेशियर पिघल रहे हैं, कई देशों ने पानी की कमी, बाढ़, कटाव शुरू कर दिया है और यह सब ग्लोबल वार्मिंग के कारण है। ग्लोबल वार्मिंग के लिए इंसानों को छोड़कर किसी को भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। बिजली संयंत्रों से निकलने वाली गैसों, परिवहन, वनों की कटाई जैसी मानवीय गतिविधियों के परिणामस्वरूप पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, सीएफ़सी और अन्य प्रदूषकों जैसी गैसों में वृद्धि हुई है। मुख्य सवाल यह है कि हम वर्तमान स्थिति को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर दुनिया का निर्माण कर सकते हैं। इसकी शुरुआत प्रत्येक व्यक्ति के छोटे-छोटे कदमों से होती है।

खरीदारी के सभी उद्देश्यों के लिए टिकाऊ सामग्री से बने कपड़े के थैलों का उपयोग करना शुरू करें, उच्च वाट की रोशनी का उपयोग करने के बजाय ऊर्जा कुशल बल्बों का उपयोग करें, बिजली बंद करें, पानी बर्बाद न करें, वनों की कटाई को समाप्त करें और अधिक पेड़ लगाने को प्रोत्साहित करें। ऊर्जा के उपयोग को पेट्रोलियम या अन्य जीवाश्म ईंधन से पवन और सौर ऊर्जा में स्थानांतरित करें। पुराने कपड़ों को फेंकने के बजाय किसी को दान कर दें ताकि इसे रिसाइकिल किया जा सके। पुरानी किताबें दान करें, कागज बर्बाद न करें। सबसे बढ़कर, ग्लोबल वार्मिंग के बारे में जागरूकता फैलाएं। पृथ्वी को बचाने के लिए एक व्यक्ति जो भी छोटा-मोटा काम करता है, वह बड़ी या छोटी मात्रा में योगदान देगा।

यह महत्वपूर्ण है कि हम सीखें कि 1% प्रयास बिना किसी प्रयास के बेहतर है। प्रकृति की देखभाल करने और ग्लोबल वार्मिंग के बारे में बोलने का संकल्प लें। ऊर्जा के उपयोग को पेट्रोलियम या अन्य जीवाश्म ईंधन से पवन और सौर ऊर्जा में स्थानांतरित करें। पुराने कपड़ों को फेंकने के बजाय किसी को दान कर दें ताकि इसे रिसाइकिल किया जा सके। पुरानी किताबें दान करें, कागज बर्बाद न करें। सबसे बढ़कर, ग्लोबल वार्मिंग के बारे में जागरूकता फैलाएं।

पर्यावरण क्या है | Paryavaran Kya Hai : इसके बारे में और अधिक पढ़ने के लिए क्लिक करें

ग्लोबल वार्मिंग pdf in Hindi | Global Warming pdf

FAQ | ग्लोबल वार्मिंग

Q1. ग्लोबल वार्मिंग के लिए कौन सी गैस जिम्मेदार है

उत्तर – ग्लोबल वॉर्मिंग के लिए जिम्मेदार प्रमुख गैस कार्बन डाइऑक्साइड है। कार्बन डाइऑक्साइड एक आवरण की तरह काम करता है और पृथ्वी से आने वाले सौर विकिरण को रोक लेता है। इस प्रकार, यह उस ऊष्मा ऊर्जा को अवशोषित करता है जिसे अंतरिक्ष में उत्सर्जित किया जाना चाहिए था। यह 80% ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार है।

Q2. ग्लोबल वार्मिंग के कारण ऋतु प्रभाव

उत्तर – विश्व भर में बड़ी तेज़ी से उद्योग स्थापित किए जा रहे हैं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हर देश नए-नए उद्योग स्थापित करके आर्थिक उन्नति की ओर तेज़ी से कदम बढ़ाने का प्रयत्न कर रहा है। ऊर्जा की उत्पत्ति के लिए वे जीवाश्मी ईंधन को जलाते हैं। कोयला और पेट्रोल भूमि के गर्भ से निकाल-निकालकर दिन-रात जलाया जा रहा है। इससे लोगों को सुख-सुविधाएँ तो अवश्य प्राप्त हो रही हैं, पर साथ-ही-साथ वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन गैसों की मात्रा बढ़ती जा रही है। ये दोनों गैसें वायु के तापमान को तेजी से बढ़ा रही हैं। इसे ही ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं।

इस तापमान वृद्धि का परिणाम ही है कि ध्रुवों पर जमी बर्फ की परत पिघलने लगी है। जिस ग्लेशियर से गंगा नदी निकलती है, वह तेजी से पिघलने लगा है। इसका परिणाम यह हो सकता है कि आने वाले समय में धरती के वातावरण का तापमान बढ़ने के साथ-साथ जल-स्रोतों में कमी आने लगेगी। ‘ग्लोबल वार्मिंग’ अर्थात ‘वैश्विक तापन’ पूरी पृथ्वी के लिए खतरे की घंटी है, जो हमारे भविष्य के लिए अति खतरनाक सिद्ध होगी। इससे समुद्रों का जलस्तर बढ़ने लगेगा, जिसके परिणामस्वरूप समुद्र तटों पर बसे नगर डूबने लगेंगे।

Q3. ग्लोबल वार्मिंग का अपेक्षित परिणाम है

उत्तर –  कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन की वजह से पृथ्वी के औसत सतह तापमान में वृद्धि हुई है जिसे हम ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं। वाहनों, कारखानों और विभिन्न अन्य स्रोतों द्वारा उत्सर्जित ये गैसें उस गर्मी को अपने अन्दर खपा लेती हैं जिसे पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर चले जाना चाहिए। ग्लोबल वार्मिंग ने पृथ्वी के वायुमंडल पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और आने वाले समय में वह इसे और भी प्रभावित कर सकती है। 

Q4. ग्रीन हाउस प्रभाव तथा ग्लोबल वार्मिंग क्या है

उत्तर – वातावरण में ग्रीन हाऊस गैसों की लगातार वृद्धि हो रही है जिससे कि वातावरण पर इसके दुण्प्रभाव पड़ रहे हैं जो कि हैं:-

1.ग्रीन हाऊस गैसों के बढ़ने से पृथ्वी के ताप में लगातार वृद्धि होती जा रही है।
2.ग्रीन हाऊस गैसों द्वारा वनस्पति जगह पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
3.इन गैसो से विभिन्न प्रकार के शारीरिक रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
4.ग्रीन हाऊस गैसें, कृषि उपज पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
5.ग्रीन हाऊस गैसों में वृद्धि होने से जल-संसाधनों तक जलाऊ लकड़ी की उपलब्धता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
6.इन गैसों के कारण ऊर्जा संकट की सम्भावना भी बढ़ जाती है।
7.वर्षा कम होती है जिससे वनस्पति की कमी भी हो जाती है।

Q5. ग्लोबल वार्मिंग रोकने के उपाय

उत्तर – वैज्ञानिकों और पर्यावरणवादियों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग में कमी के लिए मुख्य रुप से सीएफसी गैसों का ऊत्सर्जन कम रोकना होगा और इसके लिए फ्रिज़, एयर कंडीशनर और दूसरे कूलिंग मशीनों का इस्तेमाल कम करना होगा या ऐसी मशीनों का उपयोग करना होगा जिनसे सीएफसी गैसें कम निकलती हैं।

औद्योगिक इकाइयों की चिमनियों से निकले वाला धुँआ हानिकारक हैं और इनसे निकलने वाला कार्बन डाई ऑक्साइड गर्मी बढ़ाता है. इन इकाइयों में प्रदूषण रोकने के उपाय करने होंगे।

वाहनों में से निकलने वाले धुँए का प्रभाव कम करने के लिए पर्यावरण मानकों का सख़्ती से पालन करना होगा।

उद्योगों और ख़ासकर रासायनिक इकाइयों से निकलने वाले कचरे को फिर से उपयोग में लाने लायक बनाने की कोशिश करनी होगी।

और प्राथमिकता के आधार पर पेड़ों की कटाई रोकनी होगी और जंगलों के संरक्षण पर बल देना होगा।

अक्षय ऊर्जा के उपायों पर ध्यान देना होगा यानी अगर कोयले से बनने वाली बिजली के बदले पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा और पनबिजली पर ध्यान दिया जाए तो आबोहवा को गर्म करने वाली गैसों पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

याद रहे कि जो कुछ हो रहा है या हो चुका है वैज्ञानिकों के अनुसार उसके लिए मानवीय गतिविधियाँ ही दोषी हैं।

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